फ़ॉलोअर

मंगलवार, 14 मई 2019

धारा 370 और भाजपा

कश्मीर भारत में जबसे जुड़ा है तबसे जनसंघ और फिर भाजपा का यह सैद्धान्तिक संकल्प रहा है कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाना चाहिए और अगर वो सत्ता में आते हैं तो इस करेंगे।
अब कुछ उनके संकल्प की वास्तविकता भी देखी जाए तो पता चलता है कि भजपा 1998 से 2019 तक 11 साल सरकार में रह चुकी है और 2014 से 2019 तक तो पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई गई थी, तब फिर क्या वज़ह रही कि 2019 में भी भाजपा के संकल्प पत्र में 370 हटाने का संकल्प ही दोहराया जाना पड़ रहा है जबकि भाजपा को इससे अधिक उपयुक्त समय अब 2019 के चुनाव के बाद नहीं मिल सके।
सभी तरह के विचारों को सुनने के बाद यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि धारा 370 राजनैतिक संकल्प कम, खुद को कश्मीर की बहुसंख्यक समुदाय के विरुद्ध प्रस्तुत कर के शेष भारत मे बहुसंख्यक समुदाय को अपने पक्छ में लामबंद करना ज्यादा प्रतीत होता है।
और इसी से हम यह भी समझ सकते हैं कि हमारी राजनीतिक सोच किस स्तर पर पहुँच चुकी है कि बस मुस्लिम विरोधी दिखना बाकी सब प्रश्नों को दबा देता है और हम रोज़गार ,विकास जैसे प्रश्नों को परे रख बस भावनाओं के ज्वार में बह जाते हैं।
सोचिये, समझिए, सवाल कीजिये।।

-पुलकित मिश्रा

1 टिप्पणी:

  1. कश्‍मीर और धारा 370 स्‍थानीय मुद्दा नहीं है, एक बार हटा दिया तो काफी सारे बदलाव होंगे, उन सभी बदलावों को पहले गणना करना होगा, इसमें कश्‍मीर किस देश में शामिल होगा, उसके लिए जनमत जैसी स्थितियां भी हो सकती हैं, वरना यूएन सीधे दखल देगा और मामला और ज्‍यादा पेचीदा हो जाएगा। इसलिए पूर्व तैयारी के लिए कश्‍मीर से आतंकवाद का सफाया, पाकिस्‍तान का प्रभाव काम करना और कश्‍मीरी पंडितों को बसाने जैसे काम पहले किए जा रहे हैं। जब धारा 370 हटेगी तो बहुत कायदे से और शांति के साथ हटेगी... वास्‍तव में अलगाववादी भी चाहते हैं कि भारत जल्‍दबाजी में कदम उठाए, आगे उससे नुकसान ही होगा।

    जवाब देंहटाएं

यहाँ तक आने के लिए आपका हार्दिक आभार ... अब जब आएं हैं तो कुछ कह भी जाइये |