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मंगलवार, 14 मई 2019

राजनीतिक परिदृश्य में घटती वाद विवाद और तार्किक संवाद क्षमता

अभी कुछ ही समय पहले असहिष्णुता और सहिष्णुता के विषय पर देश की राजनीति काफी गरम रही कुछ समर्थक भी रहे सरकार के और कुछ विरोधी जिनको अवार्ड वापसी गैंग की संज्ञा दी गयी। उनका मत यह था कि वर्तमान भाजपा नीत राजग सरकार में समय के साथ धीरे-धीरे राजनीतिक मुद्दों पर वाद विवाद और तार्किक संवाद का स्तर अपने निम्नतम पायदान पर पहुँचता जा रहा है। कोई भी विरोधी विचार को देशद्रोही , परम ज्ञानी/अज्ञानी, पाकिस्तान समर्थक या किसी राजनीतिक दल का घटक बता कर उसके विचारों को सिरे से ख़ारिज कर दिया जारहा है। चूँकि तब सरकार बने समय अधिक नहीं हुआ था व सरकार के प्रति भरोसा ज्यादा था तो ये बातें समझने में थोड़ी कठिनाई महसूस होरही थी। पर अब जबकि
सरकार अपने अंतिम दिनों में है चुनाव लगभग खत्म होने वाले हैं तब इस सरकार का आंकलन करने पर ये निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि अन्य क्षेत्रों में तो सरकार अपने निहित लक्ष्यों से पीछे रही ही है पर राजनीतिक वाद विवाद को उसके द्वारा अपने निम्नतम स्तर पर अवश्य पहुँचा दिया गया है। राहुल गाँधी की किसी भाषण या किसी साक्षात्कार में कही हर बात का विश्लेषण कर उस पर विद्वता दिखाने वाले और मज़ाक बनाने वाले राजनीतिक विशेषज्ञ वही चीज़ मोदी जी के साथ होता देख अपने आपे से बाहर आजाते हैं। और निज़ी हमकों में ज्यादा ध्यान देते हैं उनके कहे को तार्किक बताने के लिए। चूंकि माननीय प्रधानमंत्री जी ने पिछले पाँच साल केवल मन की ही बात की है कोई साक्षात्कार नहीं दिया जिसमें उनसे सवालों के जवाब लिए जाएं और दिया भी है तो बस फ़क़ीरी बढ़ा ली है उनमें अपनी ,और सवाल भी कैसे कि आप इतनी फ़क़ीरी लाते कहाँ से हैं!,

अब जबकि चुनाव प्रचार के लिए साक्षात्कारों की श्रृंखला सामने आरही है तो अब लोग उनकी भी कही हर बात हर शब्द का विश्लेषण कर रहे हैं तब जो राहुल गाँधी पर पूरे दिन बहस कर सकते थे वो मोदी जी की कही दो बातों को भी ठीक से नहीं सुन पारहे हैं।

हमें नहीं पता प्रथम सेवक कैसे थे उन्होंने क्या गलतियां की, जो कि अवश्य की ही होंगी आखिर थे वो भी इंसान ही, क्योंकि हम उस सदी में नहीं जन्मे हमने उनको नहीं देखा उनको नहीं सुना और शायद इतिहास जो लिखा गया वो हमें सब कुछ ना बताये पर प्रधान सेवक जी को देखने सुनने और समझने के लिए हम इस सदी में मौजूद हैं और जो हम देख पारहे हैं पता नहीं इतिहास उसे कैसे बयां करेगा पर प्रधान सेवक अभी प्रथम सेवक की आलोचना कर सकें ,उस लायक उपलब्धियों को प्राप्त करने से अभी कुछ मील दूर अवश्य हैं।।

-पुलकित मिश्रा

3 टिप्‍पणियां:

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