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शनिवार, 18 मई 2019

वैचारिक मतभेद और चरित्र हनन

राजनीतिक परिदृश्य में हमारी तर्क वितर्क की क्षमता कितनी कम होगयी है ये हम लोग पहले भी पढ़ते सुनते रहे हैं। और उसका परिणाम यह होरहा है कि अगर हम किसी के विचारों से सहमत नहीं है तो हम उनके विचारों से तार्किक बहस करने के स्थान पर उनके चरित्र हनन का प्रयास अधिक करने लगते हैं।
होसकता है कुछ प्रतिशत लोगों पर इसका प्रभाव पड़ भी जय पर मुझे ऐसा लगता हैं कि जो लोग गंभीर रूप से राजनीतिक स्वरूप को देख और समझ रहे है वो ऐसी बातों से खुद को दूर रखेंगे। पर लगातार यह देखने में आरहा है कि पढ़े लिखे सही समझ और सही सोच को प्रदर्शित करने वाले लोग भी उसी ढर्रे पर चलना पसन्द कर रहे हैं।
लगातर चरित्र हनन के लिए कभी अटल जी की निज़ी ज़िन्दगी तो कभी किस नेता की लड़की की किस से शादी हुई है या फिर प्रधानमंत्री की शादी को लेकर अपमानजनक विचारों से आमना सामना कर रहे संघ परिवार के लोग भी उसी दौड़ में 50 लाख की गर्लफ्रैंड और अय्याश नेहरू रूपी विचारों को जन्म दिए हुए है ताकि विचारों का मतभेद और विचारों के संघर्ष को निजी चरित्र हनन के द्वारा जीता जा सके। और अब तो धीरे धीरे गाँधी-गोडसे विवाद में देश की आज़ादी के सबसे बड़े नेता , जिनको उनके विरोधी भी सम्मान देते थे ,अपना नेता मानते थे, जिनको रविन्द्र नाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधी दी थी और विचारों के तीव्र मतभेद के बाद खुद को दूसरी दिशा में मोड़ लेने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने जिन्हें सर्वप्रथम बापू कहा, उन्हीं बापू को उनके राजनीतिक विचारों से असहमतियों के कारण विरोध करने वाले और आज के नेताजी बोस प्रेमी लोग चरित्र हनन के जरिये अपने विचारों को अधिक प्रासंगिक बनाने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
हमें एक बात समझनी अतिआवश्यक है इस समय कि क्या हमे अपने स्वतंत्रता की लड़ाई के नायकों में से किसी एक को ज्यादा अच्छा बताने के लिए क्या दूसरे को अपमानित करना आवश्यक होगया है।
क्या नेहरू को अय्याश बता के ही पटेल बड़े नेता बनेंगे या गाँधी को अपमानित करके ही नेता जी का मान बढ़ाया जासकता है।
ये लोग हमारी, हमारे देश की धरोहर हैं, हमें सभी को वो सम्मान देना चाहिए जिसपे उनका हक है। नीतियों का विरोध करे पर हम आज जो बोल पारहे हैं इसमें सबसे बड़ा हाथ उन्ही का है तो उस विरोध के समय सम्मान को अवश्य बनाये रखें।
धन्यवाद।।

                                                            -पुलकित मिश्रा

1 टिप्पणी:

  1. राजनीति पंक का गड्ढा बन गई बस किचड़ उछालते रहो, गढे मुर्दे उखाडों और अपने हिसाब से उनका पोस्टमार्टम करो और अच्छा किया सब भूल उन सर्वस्व निक्षावर करने वालों पर कीचड़ उछालो और अपना सिट्टा सेको।
    सटीक और सार्थक सामायिक चिंतन देती पोस्ट।

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